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सोमवार व्रत कथा के पाठ से पाएं शिव-पार्वती का वरदान

भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने लिए सोमवार का व्रत फलदायी है. इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने के लिए जानें पूजन का तरीका और कथा... बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आप भी सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें... सोमवार व्रत की विधि: नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और  बेल पत्र चढ़ाना  चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए. शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए. इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए. साधारण रूप से सोमवार का व्रत दिन के तीसरे पहर तक होता है. मतलब शाम तक रखा जाता है. सोमवार व्रत तीन प्रकार का होता है प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत. इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है. व्रत कथा: एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ श...
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Shiv Aarti

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी । त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी । सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा । पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा । भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला । शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥ ॐ जय शिव ओंकारा काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे । कहत शिव...

Shivratri special

शिवरात्रि साल मे 12/13 बार आने वाला मासिक त्यौहार है, जो पूर्णिमा से एक दिन पहिले त्रियोदशी के दिन आता है। शिवरात्रियों में से दो सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, फाल्गुन त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं। महा शिवरात्रि महाशिवरात्रि, भगवान शिव की पार्वती देवी से शादी का दिन है, इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मानते हैं। इस दिन ब्रत में, कुछ भक्तों को बिना पानी के ब्रत रहिते देखा गया है। आज के दिन भक्त शिवलिंग को दूध, दही, शहद, गुलाब जल, आदि के साथ हर तीन घंटे के अंतराल मे सारी रात पूजा करते हैं। आज का दिन दो महान प्राकृतिक शक्तियों, रजस एवं तमस के एक साथ आने का दिन है। शिवरात्रि व्रत इन दोनों शक्तियों का सही नियंत्रण है। वासना, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे बुराइयों को नियंत्रण कर सकते हैं। हर तीन घंटे शिवलिंग की पूजा के एक दौर आयोजित किया जाता है। सदगुरु के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्...